सृष्टि प्रकरण रमैनी 2


सृष्टि  प्रकरण
रमैनी 2

जीव रूप यिक अन्तर वासा। अन्तर जोति कीन्ह परगासा।।

इच्छा रूप नारि अवतरी। तासु नाम गाइत्री धरी।।

तेहि नारी के पुत्र तिन भाऊ। ब्रहा्रा विष्नु महेसर नाऊॅं।।

तब ब्रह्मा पूछल महतारी। को तोर पुरुख केकरि तुम नारी।।

तुम हम-हम तुम और न कोई। तुमहिं से पुरुख हमहिं तोरि जोई।।

साखीः- बाप पूत की एकै नारी, एकै माय बियाय।

ऐसा पूत सपूत न देखा, बापहिं चीन्है धाय।।



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